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2025 में आदि कैलाश यात्रा: एक आध्यात्मिक और साहसिक यात्रा गाइड

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 6,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश, जिसे ‘छोटा कैलाश’ या ‘शिव कैलाश’ भी कहा जाता है, हिंदुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। पंच कैलाश में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण यह पर्वत अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का ट्रैक गौरी कुंड, पार्वती सरोवर और ओम पर्वत जैसे दर्शनीय स्थलों से होकर गुजरता है, जो इसे तीर्थयात्रियों और साहसिक यात्रियों दोनों के लिए आकर्षक बनाता है। 2025 में आदि कैलाश यात्रा की योजना बना रहे हैं?


आदि कैलाश क्यों जाएँ?

आदि कैलाश को भगवान शिव और पार्वती का प्राचीन निवास माना जाता है। यह मंदिर और इसके आसपास का पार्वती सरोवर झील अपनी शांति और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। ट्रैकिंग के दौरान आप काली नदी, हरे-भरे जंगल, और हिमालय की बर्फीली चोटियों का आनंद ले सकते हैं। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि साहसिक अनुभव भी प्रदान करती है। 2025 में यात्रा की शुरुआत मई 2025 से होगी, और यह अक्टूबर तक खुला रहेगा।


आदि कैलाश कैसे पहुँचें

आदि कैलाश तक पहुँचने का आधार शिविर धारचूला है, जो सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। यहाँ पहुँचने के तरीके हैं:

  • सड़क मार्ग से:
    धारचूला, दिल्ली से लगभग 600 किमी और पिथौरागढ़ से 120 किमी दूर है। दिल्ली के आनंद विहार ISBT से अल्मोड़ा, चम्पावत या टनकपुर तक बसें उपलब्ध हैं, जहाँ से स्थानीय टैक्सी से धारचूला पहुँचा जा सकता है। धारचूला से आदि कैलाश तक का सफर (गुंजी, नबी, ज्योलिंगकॉन्ग) वाहन और ट्रैकिंग के मिश्रण से पूरा होता है।
  • रेल मार्ग से:
    निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर (237 किमी) या काठगोदाम (300 किमी) है। यहाँ से टैक्सी या बस से धारचूला पहुँचें।
  • हवाई मार्ग से:
    निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर (301 किमी) या पिथौरागढ़ (नैनी सैनी हवाई अड्डा, 150 किमी) है। यहाँ से टैक्सी द्वारा धारचूला तक पहुँचा जा सकता है।
  • हेलीकॉप्टर सेवा:
    पिथौरागढ़ से गुंजी तक हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है, जो यात्रा को आसान बनाती है। गुंजी से ज्योलिंगकॉन्ग तक वाहन और फिर 2 किमी का ट्रैक है।

यात्रा टिप: इनर लाइन परमिट धारचूला से प्राप्त करें। मेडिकल चेक-अप अनिवार्य है। मई-जून में पहले से टैक्सी या हेलीकॉप्टर बुक करें।


आदि कैलाश जाने का सबसे अच्छा समय

आदि कैलाश का मौसम यात्रा की योजना के लिए महत्वपूर्ण है:

  • ग्रीष्म (मई-जून): तापमान -2°C से 25°C। साफ आसमान और हरे-भरे दृश्य इसे यात्रा का सबसे अच्छा समय बनाते हैं।
  • शरद (सितंबर-अक्टूबर): तापमान 5°C से -5°C। सुखद मौसम और ओम पर्वत का स्पष्ट दृश्य।
  • मानसून (जुलाई-अगस्त): भारी बारिश और फिसलन भरे रास्तों के कारण यात्रा जोखिम भरी।
  • शीतकाल (नवंबर-अप्रैल): भारी बर्फबारी के कारण यात्रा बंद।

सुझाव: मई-जून या सितंबर-अक्टूबर में यात्रा करें। अप्रैल 2025 में मौसम हल्की बारिश और 2°C से 14°C तापमान के साथ रहेगा।


आदि कैलाश यात्रा: क्या उम्मीद करें

आदि कैलाश यात्रा का मुख्य ट्रैक धारचूला से शुरू होकर गुंजी, नबी, और ज्योलिंगकॉन्ग तक जाता है। यहाँ विवरण है:

  • शुरुआत: धारचूला या गुंजी (हेलीकॉप्टर से)।
  • ट्रैक दूरी: ज्योलिंगकॉन्ग से आदि कैलाश/पार्वती सरोवर तक 2 किमी पैदल। कुल यात्रा 13-14 दिन (यदि पूरा ट्रैक करें)।
  • इलाका: काली नदी, घने जंगल, और बर्फीले रास्ते।
  • हाइलाइट्स:
    • पार्वती सरोवर और गौरी कुंड: पवित्र झीलें।
    • शिव-पार्वती मंदिर: ज्योलिंगकॉन्ग में दर्शन।
    • ओम पर्वत: रास्ते में प्राकृतिक ‘ॐ’ आकृति वाला पर्वत।
    • कुटी गाँव: पांडवों की माता कुंती से संबंधित।

टिप्स:

  • गर्म कपड़े, ट्रैकिंग जूते, और ऑक्सीजन सिलेंडर साथ रखें।
  • स्थानीय गाइड लें।
  • ऊँचाई की बीमारी से बचने के लिए धीरे-धीरे चलें।

कहाँ ठहरें

आदि कैलाश क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएँ हैं:

  • धारचूला: होटल, गेस्टहाउस, और KMVN रेस्ट हाउस।
  • गुंजी/नबी/कुटी: होमस्टे और KMVN गेस्टहाउस।
  • ज्योलिंगकॉन्ग: कैंपिंग या अस्थायी होमस्टे।
  • कैंपिंग: पार्वती सरोवर के पास टेंट लगाए जा सकते हैं।

नोट: मई-अक्टूबर में पहले से बुकिंग करें। डिजिटल भुगतान सीमित, नकद साथ रखें।


करने योग्य गतिविधियाँ

  1. आदि कैलाश दर्शन: शिव-पार्वती मंदिर में प्रार्थना।
  2. पार्वती सरोवर परिक्रमा: 3 किमी का पवित्र ट्रैक।
  3. ओम पर्वत: गुंजी से रास्ते में दर्शन।
  4. व्यास गुफा: कालापानी में ऐतिहासिक स्थल।
  5. कुटी गाँव: भोटिया संस्कृति का अनुभव।
  6. काली मंदिर: कालापानी में दर्शन।

टिप: आदि कैलाश के साथ कैलाश मानसरोवर दर्शन (लिपुलेख पास) जोड़ा जा सकता है।


यात्रा टिप्स

  • परमिट: इनर लाइन परमिट धारचूला के DM/SDM कार्यालय से लें। वैध पहचान पत्र और मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी।
  • पैकिंग: गर्म कपड़े, सनस्क्रीन, पावर बैंक, और प्राथमिक चिकित्सा किट।
  • स्वास्थ्य: ऊँचाई की बीमारी के लिए दवाएँ और ऑक्सीजन साथ रखें।
  • प्रकृति: कूड़ा न फैलाएँ, स्थानीय नियमों का पालन करें।
  • कनेक्टिविटी: धारचूला के बाद नेटवर्क सीमित, केवल BSNL कुछ जगहों पर काम करता है।

आदि कैलाश 2025: ताजा समाचार

  • हेलीकॉप्टर सेवा: उत्तराखंड पर्यटन विभाग और ITBP ने पिथौरागढ़-गुंजी हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की, जिससे यात्रा आसान हुई।
  • KMVN टूर पैकेज: 2025 के लिए KMVN ने काठगोदाम और धारचूला से निश्चित प्रस्थान पैकेज शुरू किए।
  • पहली यात्रा: 2 अक्टूबर 2024 को पहला समूह लिपुलेख पास से कैलाश दर्शन के लिए रवाना हुआ, जिसमें आदि कैलाश शामिल था।
  • विकास: सरकार सड़कों और सुविधाओं को बेहतर कर रही है। 2024 में 1 लाख से अधिक यात्री आए, और 2025 में और वृद्धि की उम्मीद है।

5-दिन का यात्रा कार्यक्रम

दिन 1: धारचूला आगमन

  • काठगोदाम/पिथौरागढ़ से धारचूला।
  • परमिट और मेडिकल चेक-अप।
  • रात्रि विश्राम।

दिन 2: धारचूला-गुंजी

  • वाहन से गुंजी (5-6 घंटे)।
  • रास्ते में कालापानी और व्यास गुफा।
  • होमस्टे में रात्रि विश्राम।

दिन 3: गुंजी-ज्योलिंगकॉन्ग-आदि कैलाश

  • वाहन से ज्योलिंगकॉन्ग, फिर 2 किमी ट्रैक।
  • आदि कैलाश दर्शन, पार्वती सरोवर परिक्रमा।
  • गुंजी वापसी।

दिन 4: गुंजी-ओम पर्वत-गुंजी

  • ओम पर्वत दर्शन।
  • रात्रि विश्राम।

दिन 5: गुंजी-धारचूला

  • वाहन या हेलीकॉप्टर से वापसी।
  • प्रस्थान।

आदि कैलाश: 2025 का अवश्य देखने योग्य स्थल

आदि कैलाश यात्रा आध्यात्मिकता और प्रकृति का अनूठा मेल है। यहाँ की शांति, हिमालय की सुंदरता और शिव की कृपा आपका मन मोह लेगी।


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